जब मुझसे कुछ था ही नहीं, तो मेरे सामने बालों को यूँ सम्भाली थी क्यू,
जब कुछ बातें ही नहीं करनी थी, तो अकेले में बुलाई थी क्यू,
जब साथ ही नहीं देना था, तो उस रात वो बस में,
अपने कन्धो पे सर रखकर मुझी सुलाई थी क्यू ,
अब तुम्हे मुझसे रुसवाई क्यू ?
मै तो प्यार से अनजान था, उससे दूर भागता रहा,
जब मुझे इनकार ही करना था, तो हाँ में सर हिलाई थी क्यू,
जब प्यार ही नहीं निभाना था, तो प्यार करना सिखाई क्यू ,
अब तुम्हे मुझसे रुसवाई क्यू ?
तुम तो हमेशा मेरे चेहरे पे मुस्कान देखना चाहती थी न,
मै हमेशा खुश रहू ये रब से दुआ करती थी न,
फिर ये अचानक से बला आई क्यू,
अब तुम्हे मुझसे रुसवाई क्यू ?
मै सब कुछ भुला कर अपने दोस्तों के साथ मगन था,
मेरे सारे अरमानो के सिमटे हुए गगन था,
तो फिर मेरे सोये हुए अरमानो के जगाई क्यू,
अब तुम्हे मुझसे रुसवाई क्यू ?
मै लड़कियों के तरफ नजरे उठाकर,
किसे के कहने पे भी नहीं देखता था पहले,
मै घायल तो नहीं था पहले,
तुम अपने नैनो से मेरे दिल पे तीर चलाई क्यू,
अब तुम्हे मुझसे रुसवाई क्यू ?
मै रे बे से गालियाँ देने तक,
इसी तरह से अपने दोस्तों के साथ बात करता था,
सुबह से शाम होने तक.
फिर तुमने वो सोना बाबु वाला बातें सिखाई क्यू,
अब तुम्हे मुझसे रुसवाई क्यू ?
शेखर शर्मा