वो तितलियों को उड़ते हुए देखना
घना घोर बारिश में मोरों को नाचना
आसमान में जगमगाता तारें गिनना
मुझे अच्छा लगता है
बिन पूछे जो मेरी खवाइश को जान ले
वो इंसान मुझे सच्चा लगता है
मेरे रातों के ख़्वाबों में उसका आना
गुड नाईट से गुड मोर्निंग कह जाना
जिसमे अलग रहकर भी पास है
वो रिश्ता मुझे अच्छा लगता है
बिन पूछे जो मेरी खवाइश को जान ले
वो इंसान मुझे सच्चा लगता है
सामने आकर उसका छुप जाना
भोली भाली बातों से मुझे सताना
वो कहता है परेशान करता हूँ तुम्हे
उसका परेशान करना भी
मुझे अच्छा लगता है
बिन पूछे जो मेरी खवाइश को जान ले
वो इंसान मुझे सच्चा लगता है
शेखर शर्मा