बैकुंठ में भी ना मिले जो वो सुख कान्हा तेरे वृंदावन धाम में हैं,
कितनी भी बड़ी विपदा हो चाहे समाधान तो बस श्री राधे तेरे नाम में हैं
कर भरोसा राधे नाम का
धोखा कभी न खायेगा….
हर मौके पर कृष्ण
तेरे घर सबसे पहले आयेगा
प्रेम की भाषा बड़ी आसान होती हैं,
राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी ये पैगाम देती हैं
हम भी तेरी मोहनी मूरत दिल में छिपाये बैठे है
तेरी सुन्दर सी छवि आँखों में बसाये बैठे है
इक बार बांसुरी की मधुर तान सुनादे कान्हा
हम भी एक छोटी सी आस जगाये बैठे है
हर शाम हर किसी के लिए सुहानी नहीं होती,
हर प्यार के पीछे कोई कहानी नहीं होती,
कुछ असर तो होता है दो आत्मा के मेल का
वरना गोरी राधा, सांवले कृष्णा की दीवानी न होती।
श्री कृष्ण कहते है मनुष्य को जीवन में श्रेष्ट बनने का प्रयास आवश्य
करना चाहिए परन्तु जीवन में हमेशा उत्तम ही रहना चाहिए
प्रेम वो नहीं इज़हार किया जाये प्रेम तो वो है जो
महसूस किया जाये प्रेम वो नहीं जो पाया जाये
प्रेम तो वो है जो जिया जाये।
हे कान्हा फर्क बस इतना ही है हम दोनों की तन्हाई में
तुम्हारे पास तो फिर भी तुम हो मेरे पास तो में भी नहीं हूँ।
रंग बदलती दुनिया देखी, देखा जग व्यवहार
दिल टूटा तब मन को भाया ठाकुर तेरा दरबार
पलके झुके और नमन हो जाये मस्तक झुके और वंदन हो
जाये ऐसे नज़र कहा से लाऊ की तुझे याद करू और
तेरे दर्शन हो जाये।
बड़ी बरकत है कान्हा तेरे इश्क़ में,
जब से हुआ है कोई दूसरा दर्द ही नहीं होता
अधूरा है मेरा इश्क तेरे नाम के बिना,
जैसे अधूरी है राधा श्याम के बिना।
इन आंखो को जब तेरा दीदार हो जाता है
मेरा तो हर दिन सांवरे त्योहार हो जाता है
राधा कृष्ण का मिलन तो बस एक बहाना था,
दुनियाँ को प्यार का सही मतलब जो समझाना था
दौलत छोड़ी शोहरत छोड़ी सारा खजाना छोड़ दिया
कृष्णा के प्रेम दीवानों ने सारा जमाना छोड़ दिया
संगीत है श्रीकृष्ण, सुर है श्रीराधे
शहद है श्रीकृष्ण, मिठास है श्रीराधे
पूर्ण है श्रीकृष्ण, परिपूर्ण है श्रीराधे
आदि है श्रीकृष्ण, अनंत है श्रीराधे
गोकुल मैं हैं जिनका वास,
गोपियो संग करे निवास,
देवकी यशोदा हैं जिनकी मैया,
ऐसे हैं हमारे कृष्ण कन्हैया।
कितना बेबस हो जाता है इंसान जब किसी
को खो भी नहीं सकता और उसका हो भी नहीं सकता।
दे के दर्शन कर दो पूरी प्रभु मेरे मन की तृष्णा
कब तक तेरी राह निहारूं, अब तो आओ कृष्णा
कितने सुंदर नैन तेरे ओ राधा प्यारी,
इन नैनों में खो गये मेरे बांके बिहारी
श्याम की बंसी जब भी बजी है
राधा के मन में प्रीत जगी है
एक तरफ साँवले कृष्ण, दूसरी तरफ राधिका
गोरीजैसे एक-दूसरे से मिल गए हों चाँद-चकोरी
कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी,
जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी
जिस पर राधा को मान हैं,
जिस पर राधा को गुमान हैं,
यह वही कृष्ण हैं जो राधा
के दिल हर जगह विराजमान हैं
प्रेम एक ऐसा अनुभव है जो मनुष्य को कभी परास्त नहीं होने
देता और घृडा एक ऐसा अनुभव है जो मनुष्य को कभी जितने नहीं देता
पाने को ही प्रेम कहे,
जग की ये है रीत
प्रेम का सही अर्थ समझायेगी
राधा-कृष्णा की प्रीत
बहुत खूबसूरत है मेरे ख्यालों की दुनिया,
बस कृष्ण से शुरू और कृष्ण पर ही खत्म।
राधा को कन्हैया ने प्यार का पैगाम लिखा
पूरे खत में सिर्फ़ राधा-राधा नाम लिखा
प्यार मे कितनी बाधा देखी
फिर भी कृष्ण के साथ राधा देखी
राधा के सच्चे प्रेम का यह ईनाम है,
कान्हा से पहले लोग लेते राधा का नाम है